कल जाने क्या होगा, इस बेक़रारी में नए हैं
ललित कुमार द्वारा लिखित; 31 जनवरी 2007 को 3:00 सायं एक ग़नुक (ग़ज़ल-नुमा-कविता)… कल जाने क्या होगा, इस बेक़रारी में […]
ललित कुमार द्वारा लिखित; 31 जनवरी 2007 को 3:00 सायं एक ग़नुक (ग़ज़ल-नुमा-कविता)… कल जाने क्या होगा, इस बेक़रारी में […]
ललित कुमार द्वारा लिखित; 02 जून 2006 एक ग़नुक (ग़ज़ल-नुमा-कविता)… सोचता हूँ उस रोज़ इक ग़ज़ल लिखूँ जब मैं ज़िन्दगी
ललित कुमार द्वारा लिखित; 31 जनवरी 2012 एक नई कविता… आदर-सा जो लगता हो नहीं चाहिए ऐसा प्यार चाह मुझे
ललित कुमार द्वारा लिखित; 29 जनवरी 2012 एक पुरानी ग़नुक (ग़ज़ल-नुमा-कविता) में दो नए अश’आर जोड़ कर पेश कर रहा
ललित कुमार द्वारा लिखित; 25 दिसम्बर 2011 आज मन में आए कुछ विचारों को इस कच्ची कविता में प्रस्तुत किया
ललित कुमार द्वारा लिखित; 07 नवम्बर 2011 इस ग़नुक (ग़ज़ल नुमा कविता) के कुछ शे’र उन दोस्तों के लिए लिखे
ललित कुमार द्वारा लिखित; 30 सितम्बर 2007 कई वर्ष पहले लिखी एक ग़नुक (ग़ज़ल नुमा कविता)… ओ बंजारे दिल आओ
ललित कुमार द्वारा लिखित; 30 सितम्बर 2011 मुझे याद नहीं आता कि पिछली बार मैंने ग़नुक (ग़ज़ल नुमा कविता) कब
ललित कुमार द्वारा लिखित; मैं चाहता हूँ मिट जाऊँ मैं और मेरा निशां बाकी ना रहेना किसी के मन में
ललित कुमार द्वारा लिखित; 10 सितम्बर 2011 जिस्म में हरक़त ज़रूरी है के जीने की चाह अभी पूरी है पर
ललित कुमार द्वारा लिखित; 18 अगस्त 2011 एक ग़नुक… जी सकने का अब मुझको, कोई तो आधार चाहिए मेरा हो
ललित कुमार द्वारा लिखित; 04 अगस्त 2011 हालांकि इस ग़नुक को मैंने कई साल पहले लिखा था लेकिन आज इसमें
ललित कुमार द्वारा लिखित; 29 जुलाई 2011 मेरी एक नई ग़नुक (ग़ज़ल नुमा कविता) दुश्मन है क्या ऐ हवा ना
ललित कुमार द्वारा लिखित; 26 जुलाई 2011 एक नई रचना; जिसमे मैंने जीवन और बारकोड के बीच समानता बयां की
ललित कुमार द्वारा लिखित; 28 जनवरी 2007 एक पुरानी रचना… ज़िन्दगी मेरे साथ-साथ चलना सुनो ज़िन्दगी, मेरे साथ-साथ चलना अब
ललित कुमार द्वारा लिखित; 30 जून 2011 यह मेरी एक प्रिय कविता है –इसे मैंने कुछ समय पहले लिखा था
ललित कुमार द्वारा लिखित; 06 जून 2011 थामोगी या छोड़ोगी मेरा हाथ ज़िन्दगी कब बीतेगी कहो ये काली रात ज़िन्दगी
ललित कुमार द्वारा लिखित; 12 जनवरी 2010 देखो, ज़िद ना करो मुझे बिखर जाने दोइतनी दरारें पड़ चुकी हैं मुझे
ललित कुमार द्वारा लिखित; निस्तब्ध से जीवन में कोई ध्वनी खोजता हूँ निराशा के घने वन में खुली अवनी खोजता
ललित कुमार द्वारा लिखित; 25 अप्रैल 2006 एक छोटी-सी कविता… मेरे गीतों की गलियों में दर्द बहता है तभी तो
ललित कुमार द्वारा लिखित आज मेरा मन उदास है किससे कहूँ? नहीं कोई आस-पास है किससे कहूँ? इस सूनेपन को