ललित कुमार द्वारा लिखित; 08 फ़रवरी 2012 को लिखित
आज यह कविता लिखी है…
अपने फ़लक के चांद को
कुछ सोचते हुए मैंने
खींच कर छुटाया
और थोड़ा दायीं ओर करके
फिर चिपका दिया
हाँ, अब सप्तर्षि ठीक से दिखता है
पर ऊपर की तरफ़ वो चार सितारे
अभी भी कुछ जँच नहीं रहे
ह्म्म
चलो इन्हें थोड़ा छितरा देता हूँ
लेकिन इससे जगह कम हो जाएगी
रोहिणी और झुमका के लिए
और हाँ, नीचे की ओर ये कई तारे
कुछ अधिक ही सीध में नहीं लग रहे?
मैं इसी उधेड़-बुन में था
अपने घर के आकाश को
सजाने की धुन में था
कि तभी तुम आईं
मेरे चेहरे पर छाई
दुविधा देख
तुम मुस्कुराई
कुछ पल गगन निहारा
फिर अपनी अंजुली में
समेट लिया आकाश सारा
पूरा चांद और हर इक तारा
मैं चौंक कर अपनी उधेड़-बुन से निकला
मुझे अचरज में देख
तुम खिल-खिलाकर हँस पड़ी
और बड़ी चंचलता से तुमने
सारे सितारे फिर से
आकाश में यूं ही बिखेर-से दिए
मेरी हैरत असीम हो गई!
हर सितारा अपनी जगह
तरतीब से टंक गया था
चांद भी अचानक
कुछ अधिक ही
सुंदर लगने लगा
और सारा आकाश
एकदम व्यवस्थित हो गया
फिर तुम करीब आकर
मेरे कांधे पर सिर रख
बैठ गईं
मैं आश्चर्य की प्रतिमूर्ती बना
कभी आकाश को, कभी तुम्हें
कभी तुम्हारे सुंदर हाथों को
देखता ही रह गया
कुछ तो हुनर है
तुम्हारे हाथों की छुअन में
कि हर चीज़ सज जाती है
सलीके से
चाहे वो मेरी ज़िन्दगी हो
या हमारा घर
दूसरे की नज़र से देखने पर हर दृश्य सुन्दर होता है…
और अगर दो नज़रें एक साथ एक ही दृश्य देखे…. तो सुन्दरतम!
आपकी नज़रों का कमाल था या उन हाथों का… चाँद तारे इस पहेली को सुलझाने में उलझे हुए हैं अभी और आसमान मुस्कुरा रहा है!
बहुत सुन्दर कविता!
just unbelievable…awesome ……
kya kahen ki kuch —–ahasaas hai bas….
Bahut khoob Lalit ji, bahut hi sundar bhaav aur utni hi acchi abhivyakti…
कुछ तो हुनर हैतुम्हारे हाथों की छुअन मेंकि हर चीज़ सज जाती हैसलीके सेचाहे वो मेरी ज़िन्दगी होया हमारा घर
”कुछ तो हुनर हैतुम्हारे हाथों की छुअन में ”
सच में कुछ हाथों में ऐसी ही बात होती है कि वो जिस चीज़ को छू लें उसी को संवार देते हैं..जब दोनों प्रेमियों के हृदय में प्रेम उमड़ता है तो सब कुछ सही समय और सही स्थान पर ही प्रतीत होता है..प्रेम के इस रूप का बहुत सुन्दर चित्रण किया है… बहुत ख़ूब ललित जी … मज़ा आ गया ..
वाकई लाजवाब…आप और आपकी कवितायें…
kho gaya aapki kavita padh kar…… bahut khoob !!
Excellent !!Sunder, komal
bahut Sundar ,Komal,bhav bhini!!!
उत्कृष्ट शब्द चयन एवं संयोजन !!!साधुवाद एवं हार्दिक बधाई !!!
This is your best one Lalit ji 🙂
बहुत सुन्दर…
मुझे बहुत पसंद आई ललित जी.
शुभकामनाएँ.
nice poem sachmuch nari chhe to ghar saj jata hai varna……….