हम तुम्हे अपने दिल में रखेंगें

ललित कुमार द्वारा लिखित; वर्ष 2003

किसी बच्चे से पूछो ज़रा ज़ोर से
तुम्हारे हाथ में क्या है?
तुम देख सकोगी छलकते आंसू
उसकी निर्दोष, प्यारी-सी आंखों में
उसकी मुठ्ठी बड़े ज़ोर से होगी बंद
खोलोगी तो कुछ नन्हे कंचे मिलेंगें
मुठ्ठी में बंद उन्ही कंचो की तरह
हम भी तुम्हे अपने दिल में रखेंगें

जहाँ रेत होगी कुछ साफ़-साफ़
किनारे समन्दर के चलते-चलते तुम
पाओगी, एक सीप आधी दबी-सी रेत में
जैसे वो कुछ छुपाना चाहती हो जग से
तोड़ोगी उस सीप को, तो एक चीख के साथ
कुछ सुन्दर सफ़ेद मोती बिखरेंगे
सीप में छुपे उन मोतियों की तरह
हम भी तुम्हे अपने दिल में रखेंगे

किसी बहुत दिल-अज़ीज़ को इक शाम
अगर तुम पाओगी बैठे हुए उदास
और पूछोगी तुम कि क्या ग़म है?
तब भर आएंगी जो आंखे उसकी
तुम थाम लोगी हथेली पर वो आंसू
और तुम्हारे हाथ उन्हें सहेज कर रखेगें
हथेली पर थमे उन आंसुओं की तरह
हम भी तुम्हे अपने दिल में रखेंगें

सींचा है जिस पेड़ को बरसों से
इस बसंत में खिलेगा उस पर पहला फूल
तुम देख सकोगी उस मुस्कान को
जो माली के चेहरे पर खेल जाएगी
महसूस कर सकोगी तुम उस खुशी को
जिसे माली ने पाया है बरसों के बाद
उसी फूल, उसी मुस्कान, उसी खुशी की तरह
हम भी तुम्हे अपने दिल में रखेंगें

9 thoughts on “हम तुम्हे अपने दिल में रखेंगें”

  1. kaash sabko koi itna chahne wala mil pata…apne dil me yun sambhal kar rakh pata to is jahaan me pyaar ki kami na rehti…..

    pyaar badsoorat ho hi nahi sakta isliye is rachna me bhi ander tak khoobsurti samayi hai!!

  2. जब पूछोगी तुम कि क्या ग़म है?

    तब भर आएंगी जो आंखे उसकी

    meri bhi aankhen bhar aayin…

    rundhe hue gale se shabd nahi nikalte!!!!

    aapki hi tarah shreshth rachna… sundartam bhaav….

    aansuon ki nirmalta liye hue… and i do write this with moistened eyes and touched soul…

    best wishes!

  3. Ahsason se labrez kavita …bahut sundar ..Anil ji ne aapka link dia ..mujhe khushi hai mene ye kavita padhi.

  4. seep mein chupe un motiyon ki tarah hum tumhe apne dil mein rakhegne,…………..ati sunder upma n bhavabhivyakti seencha hai……………………….usi………..rakhegne………..ashavadita wow !

  5. lalit ji,
    aaj aapki kavitaon ki shrinkhla mil gai. ''ped tum gir kyon nahin jaate'' aur ab ye rachna, jiske bhaav nihshabd kar dene wale hain…

    हथेली पर थमे उन आंसुओं की तरह
    हम तुम्हे अपने दिल में रखेंगें

    tippani keliye shabd nahin bas…shubhkaamnaayen.

  6. दिल को बेधती रचना ! दिल अत्यंत भावुक और भारी हो गया ! क्या कहूँ ? अनुपम, अतुल्य ! कई वर्षों बाद इतने सुंदर काव्य-मोतियों को देखा | एक से एक आभायुक्त, एक से एक देदीप्यमान !देख सकोगी छलकते आंसूउसकी निर्दोष, प्यारी-सी आंखों मेंउसकी मुठ्ठी बड़े ज़ोर से होगी बंदखोलोगी तो कुछ नन्हे कंचे मिलेंगेंमुठ्ठी में बंद उन्ही कंचो की तरहहम तुम्हे अपने दिल में रखें रचनाकार का मन कितना निर्मल, कितना पावन है !

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top