बड़ा कमाल आज हुआ है

ललित कुमार द्वारा लिखित; 26 अगस्त 2009

काफ़ी सारी कविताएँ पेश करने के बाद आज मैं एक ग़ज़ल-नुमा-कविता (ग़नुक) पेश कर रहा हूँ…

बड़ा कमाल आज हुआ है
मर्ज ही मेरा इलाज हुआ है

जिसने चमन को काटा था
वही आज गुलसाज़ हुआ है

वक्त शाम का आया है और
बेकल दिल का साज़ हुआ है

आज नया जाने क्या है
दिल परो-परवाज़ हुआ है

जो कल तक छाया देता था
पेड़ वो मेज-दराज़ हुआ है

9 thoughts on “बड़ा कमाल आज हुआ है”

  1. जो कल तक छाया देता था
    पेड़ वो मेज-दराज़ हुआ है wah bhout ache lalit ji

  2. Behtreen Gajal…..आज नया जाने क्या है….sach bhaaw ka umda srijan hai……!

  3. Masoomshayer Anil

    जो कल तक छाया देता था
    पेड़ वो मेज-दराज़ हुआ है

    is ke liye lafz kahan se laoon?
    man men tareef zyada hai labon pe alfaaz kam

  4. Bahut Khoob janaab :]

    Apki Kavitaoon ke tou hum kayal they hi, ab gazal ki bhi jhali mil hi gayee hai.

    Sadi aur khushnuma gazal padkar aacha laga, par janaab agar is gazal ke saath aap ki aawaz bhi mil jati tou yeh panktiyaan ” Chirtaarth aur Charitaarth” ho jaatin.

    Aap se guzarish hai Lalitji ki aap zara kuch mushkil Urdu lafzoon ko hindi main mujh jaise nacheez dooston ke liye samjha diya karainge……………

  5. वक्त शाम का आया है और

    बेकल दिल का साज़ हुआ है

    “किसी ख़ामोश शाम को” कविता की याद दिला गयी यह पंक्तियाँ ….

    अभिव्यक्ति की कोई भी विधा हो … भावों की सच्चाई एक अकथ उच्चाई प्रदान करती है सृजनशीलता को !

    u hv touched the chord wen u say ….

    जो कल तक छाया देता था

    पेड़ वो मेज-दराज़ हुआ है

    “ओ पेड़, तुम गिर क्यों नहीं जाते?” की पीड़ा अब तक गूँज रही है हमारे भीतर ……..

    best wishes!!!!!

  6. ड़ा कमाल आज हुआ है
    मर्ज ही मेरा इलाज हुआ है

    जिसने चमन को काटा था
    वही आज गुलसाज़ हुआ है

    waah, bahut achy hyal hai,

    पेड़ वो मेज-दराज़ हुआ है

    kya word play hai waaahhhhh

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