ललित कुमार द्वारा लिखित; 26 नवम्बर 2010
निरंतर जारी “ओ पेड़” शृंखला की नवीनतम कड़ी…
ओ पेड़
वो तो अमर बेल थी
वो आई, आकर तुममें समाने लगी
गले लग कर तुमसे लिपट गई
और तुम्हारी सारी दुनिया
उसकी बांहों में सिमट गई
तुम्हें बहलाते हुए
अंगडाईयाँ लेकर
बल खाते हुए
वो तुम्हारे अस्तित्व पर
छाने लगी
तुम्हारे ही जीवन-रस से
वह भी पोषण पाने लगी
उसकी जड़ों ने तुम्हें भेदा
तुम्हारे रोम-रोम से
बड़ी भयंकर पीर उठी
ज़ोर से चीख उठे तुम
हिल गया था तुम्हारा अस्तित्व सारा
लेकिन दर्द की उठती तरंगों को
इक नज़र भी ना उसने निहारा
वो गहराई में उतरती गई
वो बढ़ती गई, चढ़ती गई
तुमने तो सोचा था
कि उसने गले लगाया है
तो उसे तुमसे प्यार होगा
लेकिन उसे परवाह नहीं थी
उसके निष्ठुर मन में
कोई भी संवेदना नहीं थी
मैं जानता हूँ, ओ पेड़
वो मांगती तो खुशी-खुशी
तुम दे देते अपने प्राण भी
दुनिया को देना तो तुम्हारा
धर्म भी है और कर्म भी
प्रेम के वश ही तो तुम
दुख लेते और फल देते हो
फिर भी तुम किसके चहेते हो?
खुद सुख पाने की खातिर
उसने तुम्हें सुखा दिया
गले लगी जब तक रस था
फिर उसने तुम्हें भुला दिया
वो जग से कहाँ अलग थी
दुनिया खेल है, उसने खेला
दुनिया के जैसा ही वो खेल थी
ओ पेड़
वो तो अमर बेल थी
बहुत गहरे भाव लिए रचना पसंद आई.
सब स्वार्थ के रिश्ते हैं…
ये महसूस कर कवि हृदय पेड़ के भावों से एकात्म स्थापित करता हुआ परम दार्शनिक सा प्रतीत होता है…!
bahut khoobsoorat rachna…
nice one … really touching.
खुद सुख पाने की खातिर
उसने तुम्हें सुखा दिया
गले लगी जब तक रस था
फिर उसने तुम्हें भुला दिया
वो जग से कहाँ अलग थी
दुनिया खेल है, उसने खेला
दुनिया के जैसा ही वो खेल थी
dil tak utarati hui aur duniya ke sach ko ujagar karti hun panktiyan
bahut sunder aur gehri, sankuchit hoti manav samvednayon ka chitran…
shubhkamnayen
ललित जी आज आपकी कई सारी कविताएं पढी… बहुत गंभीर कविता लिखते हैं आप बावजूद इसके कि आप स्वयं को कवि नहीं मानते.. आपका फालोवेर हो के जा रहा हूँ.. नियमित मिलूँगा… कभी समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर पधारे… http://www.aruncroy.blogspot.com आशा है निराश नहीं होंगे आप… अरुण
duniya badee zalim hai dil tod ke hansatee hai ..ever true lalitji.
वेदना और पीड़ा से लबरेज कविता ! ज्यों-ज्यों पढ़ती गई मन के अन्दर, बहुत अन्दर दरकती गई ! अत्यंत भावुक और उम्दा रचना !
lalit kumar ji , aapke webpage par amarbel ka jo photo hais , wo mujhe bahot pasand aaya , mai ek website create karna chahta hun jisme ye photo as a logo use karne ki ikcha raktha hun,…
bas aapki permission ki jaroorat hai.
Thanks