एडिनबर्ग की सुबह
ललित कुमार द्वारा लिखित, 08 अक्तुबर 2006 को प्रात: 6:00 सितम्बर 2006 के आखिर में मैं पढ़ाई के लिये एडिनबर्ग […]
ललित कुमार द्वारा लिखित, 08 अक्तुबर 2006 को प्रात: 6:00 सितम्बर 2006 के आखिर में मैं पढ़ाई के लिये एडिनबर्ग […]
ललित कुमार द्वारा लिखित, 06 अप्रैल 2006 मेरी यह रचना उस हृदय की पुकार है जिसने विश्व की सारी चुनौतियों
ललित कुमार द्वारा लिखित, 09 जुलाई 2010 कई दिन बीते एक मित्र ने कहा था कि कुछ नया लिखिये और
ललित कुमार द्वारा लिखित, 15 दिसम्बर 2008 एक पल आया था जब लगा मुझे कह दूँ कि मेरे हाथों में
ललित कुमार द्वारा लिखित, 01 फ़रवरी 2010 कभी-कभी लगता है कि मैं इस युग के लिये बना ही नहीं। यहाँ
ललित कुमार द्वारा लिखित, 14 मार्च 2006 को 4:00 प्रात: कई बार हम सबके जीवन में ऐसा होता है कि
ललित कुमार द्वारा लिखित, 3 मार्च 2007 विदेश में एक शाम झील किनारे बैठे हुए जो मैनें अनुभव किया उसे
ललित कुमार द्वारा लिखित, 14 जनवरी 2009 यह कविता एक सूख चुके पेड़ की मनोदशा का वर्णन करती है। अकेले
ललित कुमार द्वारा लिखित, 14 फ़रवरी 2007 किसी ख़ामोश शाम को जब मैं बैठा अकेला क्षितिज की ओर शून्य में
ललित कुमार द्वारा लिखित, 25 अप्रैल 2009 यह रचना बहुत छोटी-सी और साधारण-सी है लेकिन इसकी हर पंक्ति मेरे जीवन
ललित कुमार द्वारा लिखित, 1 सितम्बर 2004 हृदय चाहता तुमको पाना, तुम बैठी सागर उस पार तुम आओ मुझे कंठ
ललित कुमार द्वारा लिखित, 24 अगस्त 2003 मैं कुछ लिखना चाहता हूँ किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाता हूँ मेरा स्वप्न घरोन्दा
ललित कुमार द्वारा लिखित, 27 अक्तूबर 2002 को दोपहर 2:00 मेरी कल्पना…मेरा घर… छोटा-सा घर, छोटा-सा दरवाज़ा छोटी-छोटी खिड़कियाँ आंगन