तुम हो भी और नहीं भी

ललित कुमार द्वारा लिखित; 12 दिसम्बर 2008 को 1:00pm

काफ़ी दिन के बाद…

एक ख़्याल की तरह तुम हो भी
और नहीं भी
महसूस तो मुझे होता है जो
पलक पे मोती पिरोता है जो
उसे हाथ बढ़ा छू नहीं सकता
और भूल भी उसे नहीं सकता

अपने ही मन से ये बातें
बड़े जतन कर-कर के मैनें, छुपाए भी रखी
और कही भी
एक ख़्याल की तरह तुम हो भी
और नहीं भी

एक साथी जब तलाशा था
तब बना अजब तमाशा था
साथ नहीं बस याद मिली
खिली नहीं वो आस-कली

अब याद ही मेरी साथी है
चाह मेरे इस दिल की यूं, पूरी भी हुई
और रही भी
एक ख़्याल की तरह तुम हो भी
और नहीं भी

बिसराता नहीं है प्यार सच्चा
नाज़ुक बहुत ये धागा कच्चा
काश तुम इसे नहीं तोड़ती
अपनी राहों को नहीं मोड़ती

अब ये मेरा जीवन तो बस
आंसू की एक धारा है, जो थमी भी रही
और बही भी
एक ख़्याल की तरह तुम हो भी
और नहीं भी

14 thoughts on “तुम हो भी और नहीं भी”

  1. Tum Ho aur kan-kan main ho…
    Prem ki parbhasha se pehle,
    Mrityu ki abhilasha se pehle,
    Nirakaar se, saakar tak
    Manav deh se, Parmarth tak,
    Tum ho kan-kan main ho…

  2. Pant Minakshi91

    आज पहली बार आपके ब्लॉग मै आई आपका पता न्यूज़ पेपर से लिया और आकर यही की हो गई बहुत खुबसूरत सजाया है आपने अपना ब्लॉग बहुत अच्छा लगा !
    एहसासों से भरी खुबसूरत रचना !

  3. good poem,intensive imotions.Pl write yr true self not imposed one.Best wishes.
    dr.bhoopendra singh
    rewa mp

  4. Saxena-manjula

    मैं चुप तो नहीं पर, कहती भी कुछ नहीं हूँ 
    रोती तो नहीं पर हंसती भी अब नहीं हूँ !

    लेकिन तुम ? तुम हो भी या नहींहो 
    फिर भी कहीं तो हो !
    मेरी धड़कन की बनके ताल, मेरे साँसों का बन के राग 

    तुम ही तो हो न ! मैं तो नहीं हूँ !

  5. मन की साधारण सी बात जिसे कोई नहीं कह पता ,उसे जिस तरह से आप अपनी कविताओं में कह देतें हैं ,उसी तरह से यह दर्द भी जिसे कोई शब्द नहीं नहीं दे पाता, आपने बड़ी  ही मार्मिक भावनाओं के  साथ खूबसूरत तरीके से कह दिया है |

  6. BAHUT HI SUNDR OR BHAVPURNA KAVITAYEN HAIN AAPKI…AAJ PAHLI BAAR PADI HAIN….OR SIDHE DIL ME UTAR GAYI HAIN…BEHAD SIDHE SHABD OR GAHRE BHAV….THANX FOR WRITING SO GOOD

  7. Mangla Rastogi

    अब याद ही मेरी साथी है
    चाह मेरे इस दिल की यूं, पूरी भी हुई
    और रही भी
    एक ख़्याल की तरह तुम हो भी    lalit ji ap is kavita ne dil ko chhuliya thik meree bitiya kee tarha jo hai bhi or nahi bhi..khayal ki tarha ..
    और नहीं भी

  8. Mangla Rastogi

    अब याद ही मेरी साथी है
    चाह मेरे इस दिल की यूं, पूरी भी हुई
    और रही भी
    एक ख़्याल की तरह तुम हो भी    lalit ji ap is kavita ne dil ko chhuliya thik meree bitiya kee tarha jo hai bhi or nahi bhi..khayal ki tarha ..
    और नहीं भी

  9. Shikharias Mohita26

    jugnu jugnu hai pata hai nahi suraj hai lekin,
    kuch andhera ti kat ta hai bhala kya kam hai,
    haar ya jeet alag hai wo lada to akkhir
    hosla to jara milta hai bhala kya kam hai,

  10. बिसराता नहीं है प्यार सच्चा
    नाज़ुक बहुत ये धागा कच्चा
    काश तुम इसे नहीं तोड़ती
    अपनी राहों को नहीं मोड़ती
    bhut hi ghari baat hai in pagtiyo me..

  11. बिसराता नहीं है प्यार सच्चानाज़ुक बहुत ये धागा कच्चाकाश तुम इसे नहीं तोड़तीअपनी राहों को नहीं मोड़ती

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