ललित कुमार द्वारा लिखित; 03 अप्रैल 2005 को रात्रि 11:00
यह रचना मैनें अपनी एक मित्र (जिसका नाम परी था) के लिए लिखी थी। परी उम्र में मुझसे कई वर्ष कम थी। हमारे बीच बड़ी आत्मीय और सच्ची मित्रता थी। लेकिन कैंसर की बीमारी ने परी को 22 वर्ष की छोटी आयु में ही लील लिया।
मैनें एक परी को मित्र बनाया
अत्यंत ही सुंदर मनोहारी रूपसी
जाड़ों के दिन में खिली धूप-सी
मानव-रूप धरे धरती पर, उसे विचरते मैंने पाया
मैंने एक परी को मित्र बनाया
मन कोमल करुणामय उसका
देती प्रेम, हो मन आहत जिसका
जब भी मैं ख़ुद से दूर गया, अपने निकट ही उसको पाया
मैंने एक परी को मित्र बनाया
शशि-रश्मि के पंख लगाये
पलक छपकते वो उड़ जाये
मेरे पास प्रकट हो जाये, जब भी उसका ध्यान लगाया
मैंने एक परी को मित्र बनाया
एक-दूजे के दुख बांटे हमने
दुख के बंधन सब काटे हमने
बाँट खुशियों को आपस में, हमने मित्रता-धर्म निभाया
मैंने एक परी को मित्र बनाया
शशि-रश्मी के पंख लगाये
पलक छपकते वो उड़ जाये
मेरे पास प्रकट हो जाये, जब भी उसका ध्यान लगाया
मैनें एक परी को मित्र बनाया…
sunder Pari ki sunder rachna…
ye beemari hi aisi hai jo humse hamara sab kuchh chheen jaati hai…jinhe hum mitra mante hain….prem karte hain unhe apne saath kahin door uda le jaati hai..!!
Wo jahan bhi rahen..chahe dharti par ya parilok me…ishwar unke saath rahen!
mitron ka aana aur jana to jivan ka ek bhag hai. hum yahi aasha karte hain ki mitra jahan bhi rahen sukhi rahen.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (30/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
आपकी रचना मन को छू गई | प्यारी रचना |फोटो बहुत अच्छे लगे |बधाई
आशा
एक-दूजे के दुख बांटे हमने
दुख के बंधन सब काटे हमने
बांट खुशियों को आपस में, हमने मित्रता-धर्म निभाया
मैनें एक परी को मित्र बनाया
Sada aur pakiza rishte ki bholi si Kavita bahut sundar bhavon main vyakt ki hai!
sachcha dost milna kisi niyamat se kam nahi…. sunder rachna
ye cancer ki bimari, kambhakt cheez hi aisi hai ki aane aur jaane par dukh hi sabko deti hai iske alava aur kuch nahi deti hai